चना वितरण योजना
(Gram Distribution Scheme of India)
परिचय : पोषण और आत्मनिर्भरता की दिशा में भारत का कदम
भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहाँ चना न केवल किसानों की आर्थिक रीढ़ है बल्कि आम जनता के पोषण का भी मुख्य स्रोत है। सरकार द्वारा शुरू की गई “चना वितरण योजना” का उद्देश्य है — गरीब परिवारों को सस्ते दरों पर प्रोटीन युक्त चना उपलब्ध कराना, ताकि देशभर में कुपोषण को दूर किया जा सके और संतुलित आहार को प्रोत्साहन मिले।
योजना का उद्देश्य (Objective of the Scheme)
1. पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना
इस योजना का प्रमुख उद्देश्य है कि हर नागरिक, विशेष रूप से गरीब वर्ग, को सस्ते दामों में प्रोटीन का मुख्य स्रोत — चना उपलब्ध हो।
2. कृषि उत्पादन को प्रोत्साहन
सरकार किसानों से उचित मूल्य पर चना खरीदकर देशभर के सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के माध्यम से जनता को वितरित करती है। इससे किसानों को स्थिर बाजार मिलता है और देश की खाद्य सुरक्षा मजबूत होती है।
3. कुपोषण के खिलाफ अभियान
चने में भरपूर मात्रा में प्रोटीन, फाइबर, आयरन और विटामिन होते हैं। इस योजना के माध्यम से गरीब वर्ग को पोषक तत्वों से भरपूर भोजन सुलभ कराया जाता है, जिससे कुपोषण और एनीमिया जैसी समस्याओं में कमी आती है।
योजना की प्रमुख विशेषताएँ (Key Features of the Scheme)
| विशेषता | विवरण |
|---|---|
| योजना का नाम | चना वितरण योजना |
| लॉन्च करने वाला विभाग | खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग, भारत सरकार |
| मुख्य उद्देश्य | पोषण सुधार एवं खाद्य सुरक्षा |
| लाभार्थी वर्ग | गरीबी रेखा से नीचे (BPL) परिवार, अंत्योदय परिवार, और ग्रामीण नागरिक |
| वितरण माध्यम | उचित मूल्य की दुकानें (राशन डिपो) |
| प्रति व्यक्ति मात्रा | प्रति परिवार 1–2 किलो चना प्रति माह |
| दरें | ₹20–₹30 प्रति किलो (राज्यवार भिन्न) |
चना उत्पादन और आपूर्ति प्रक्रिया (Production & Supply Process)
सरकार देशभर में नेशनल एग्रीकल्चर कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (NAFED) और FCI (भारतीय खाद्य निगम) के माध्यम से किसानों से चना खरीदती है।
खरीदे गए चने को साफ कर पैकेजिंग और ग्रेडिंग की जाती है।
इसके बाद इसे राज्य सरकारों को आपूर्ति किया जाता है।
राज्य सरकारें इसे सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS), मिड-डे मील, और आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से जनता तक पहुँचाती हैं।
वितरण प्रणाली (Distribution System)
उचित मूल्य की दुकानें (Ration Depots) इस योजना का प्रमुख वितरण केंद्र हैं।
प्रत्येक पात्र परिवार को राशन कार्ड के माध्यम से मासिक रूप से निर्धारित मात्रा में चना मिलता है।
डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम से वितरण पारदर्शी बनाया गया है।
कुछ राज्यों में यह योजना DBT (Direct Benefit Transfer) मॉडल से भी जुड़ी हुई है।
राज्यवार कार्यान्वयन (State-wise Implementation)
यह योजना कई राज्यों में राज्य खाद्य सुरक्षा योजनाओं के तहत लागू है।
मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में चना वितरण योजना प्रभावी रूप से चल रही है।
कुछ राज्यों ने इसे “प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना” से जोड़ा है, जिससे मुफ्त वितरण भी किया जा रहा है।
योजना से मिलने वाले लाभ (Benefits of the Scheme)
प्रोटीन की कमी से मुक्ति।
गरीब परिवारों को सस्ता और पौष्टिक आहार।
किसानों को चना का उचित मूल्य और बाजार।
खाद्य सुरक्षा और आत्मनिर्भरता में वृद्धि।
कुपोषण, एनीमिया और बच्चों की कमजोरी जैसी समस्याओं में कमी।
जनजागरूकता अभियान (Awareness and Promotion)
सरकार द्वारा “हर थाली में प्रोटीन” और “स्वस्थ भारत के लिए चना खाएँ” जैसे अभियान चलाए जा रहे हैं।
पोस्टर, सोशल मीडिया, और स्कूलों में जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को बताया जा रहा है कि चना केवल सस्ता भोजन नहीं, बल्कि पौष्टिक अमृत है।
भविष्य की दिशा (Future Scope)
सरकार का लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में इस योजना को सभी राज्यों में एकीकृत किया जाए और इसे डिजिटल वितरण तंत्र से जोड़ा जाए।
इसके साथ ही, ऑनलाइन ट्रैकिंग सिस्टम, मोबाइल ऐप्स, और स्मार्ट राशन कार्ड के उपयोग से लाभार्थियों को पारदर्शी सेवा प्रदान की जाएगी।
निष्कर्ष : हर घर में प्रोटीन का संकल्प
“चना वितरण योजना” केवल एक सरकारी वितरण कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह स्वस्थ और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में उठाया गया सशक्त कदम है।
इस योजना के माध्यम से सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि हर घर में पोषण, हर थाली में चना, और हर नागरिक के जीवन में स्वास्थ्य हो।


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